रविवार, 20 अगस्त 2017

रेल दुर्घटना

न दिनों रेल दुर्घटना होने पर आतंकवादी साजिश की खबर उड़ने लगती है । दुर्घटना के लिए रेल प्रशासन , रेल मंत्रालय आदि को जिम्मेदारी से मुक्त करने के लिए इस तरह की अफवाह उड़ाई जाती है । और लोग मान भी लेते हैं ।
जबकि यह सहज बुद्धि - जो आज के राजनीतिक भक्ति काल में बहुत ही दुर्लभ हो गया है - की बात है कि आतंकवादी आम अपराधियों से अलग होते हैं । वे वारदात के बाद भागने या छूपने के बजाए खुल कर जिम्मेदारी लेते हैं , ताकि ज्यादा आतंक फैले । गौर कीजिए कई आतंकवादी संगठन वारदात के बाद वीडियो , मैसेज आदि खुद ही जिम्मेदारी लेते हुए प्रसारित करवाते हैं ।भाजपा सरकार में रेल दुर्घटना के बाद जिस तरह हर बार आतंकी साजिश सुंघी जाती है , पता तो चले वे कौन से आतंकी है । सिर्फ पाकिस्तान कह देने से तो काम नहीं चलता ।
स्पष्ट है कि आतंकी साजिश महज शिगूफा है । कोई साजिश है तो वह है रेल को बर्बाद कर उसके निजीकरण का मार्ग प्रशस्त करना । जो कि पीपीपी के नाम पर रेलवे स्टेशनों की निलामी , अधिकाँश काम भी ठेके पर करवाने आदि के रुप में जारी है और इसमें तेजी लाई जा रही है ।
इसके पीछे तो वही सरकार है जिन पर इन्हें चलाने की जिम्मेदारी है ।

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