सोमवार, 8 फ़रवरी 2016

अपने से शायर - निदा फाजली

फेसबुक पर खबर है कि निदा फाजली नहीं रहे !निदा फाज़ली एक अपने से शायर थे जिनहे पढ़ना और किनकी गजलें सुनना बेहद पसंद था !कई गजलें थी जिन्हे पढ़के लगा कि बस वे मेरे दिल की ही बात कह रहे हैं !कई शेर ऐसेजो बुरे वक्त मे हौसला देते है !शायर कभी नहीं मरते वे हमेशा जिंदा रहते हैं अपने नज़मों, शेरों में , हमारे दिलों में !
कुछ शेर ( स्मृति से )
बेनाम सा यह दर्द ठहर क्यों नहीं जाता
जो बीत चुका है वह गुजर क्यों नहीं जाता !
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घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो यूं कर लें
किसी रोते हुये बच्चे को हँसाया जाये
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अपना ग़म लेकर कहीं और न जाया जाये
घर में बिखरी हुई चीजों को सजाया जाये
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जब किसी से कोई गिला रखना
सामने अपने आईना रखना
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समझते थे फिर भी नहीं रखी दूरियां हमने
चिरागों को जलाने में जला ली उँगलियाँ हमने
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आदमी बनना आसाँ न था
शेख जी पारसा हो गए
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