बुधवार, 1 जून 2016

दलित के घर स्वागत है !




दलित के घर स्वागत है !
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तो अमित शाह को दलित के घर का खाना याद आया !हम्म । तो वे भी दलित टूरिज़म की राह  पर चल पड़े जिसका आरोप वे राहुल गांधी पर लगाते रहते थे !
भले ही यह राजनीति से प्रेरित कदम है और इसके पीछे की सदाशयता संदिग्ध है , इसका स्वागत किया जाना चाहिए !खान पान में भेदभाव गावों /कस्बों में खुलेआम चलता है और शहर में भी ढंके छुपे ढंग से चलता है !इस तरह के प्रतिकात्मक कदमों का अपना महत्व है !बुरा यह नहीं है, यहीं तक सीमित रह जाना बुरा है !
दूसरे ऐसे अवसरों पर वह खिलाये जो आप खाते हैं , जिस बर्तन में खाते हैं उसी में खिलाएँ , एक ही थाली में साथ खाएं ,! यह भी पूछिए कि अपने घर में कब खाने पर बुला रहे हैं ! पता चल जाएगा उनकी सदाशयता असली है या नकली !
-तीसरे इस तरह के कदमों से सही और महत्वपूर्ण सवाल पुछना न भूल जाएँ !पूछिए कि आरक्षण को सही तरह से लागू कर रहे हैं या नहीं !? बैक लोग कब पूरा कर रहे हैं !? संस्थानों में जातिगत भेदभाव रोकने के लिए क्या उपाय कर रहे हैं !? ध्वस्त सरकारी विद्यालयों को कब पटरी पर ला रहे हैं जिससे सबसे ज्यादा दलित/पिछड़ा वर्ग दुष्प्रभावित होता है !?महत्वपूर्ण पदों पर कितनी भागिदारी मिलेगी !आदि आदि !
अपने वोट की ताकत का इस्तेमाल कीजिये !सत्ता में भागिदार बनिए !
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