गुरुवार, 6 अप्रैल 2017

भाजपा के प्रति मुसलमानों की आशंका सच साबित हुई !

2014 में केंद्र में भाजपा के बहुमत और 2017 में उत्तर प्रदेश में भाजपा के प्रचंड बहुमत के बाद ऐसी सलाहों की बाढ़ आ गयी जिसमें कहा जा रहा था कि मुसलमानों को भाजपा से नहीं डरना चाहिए या भाजपा को ही वोट कर देना चाहिए ( कईयों का दावा था कि किया भी है ) या मुसलमानों की दुर्दशा के लिए काँग्रेस , सपा , बसपा सब दोषी है । आदि !ऐसा लिखने वालों में कई मुस्लिम भी थे ।
सवाल है कि क्या भाजपा को लेकर मुसलमानों - साथ ही प्रगतिशील पत्रकारों , कलाकारों आदि की भी - आशंका गलत थी ? उत्तर है नहीं !
केंद्र में भाजपा के आने के बाद से एक एक कर मुद्दे उठाए जाते रहे , मामलों को तूल दिया जाता रहा , मुसलमानों के खिलाफ हिंसा और आपराधिक घटनाओँ में बढ़ोतरी हुई , हिंदूत्व के नाम पर गुंडागर्दी करने वालों के पक्ष में शासन तंत्र और केंद्रीय मंत्री तक बचाव में उतरे हैं ।
बीफ , लव जिहाद , तीन तलाक आदि मुद्दों को एक एक कर भड़काया गया - समाधान के लिए नहीं अपेक्षित संवेदनशीलता के साथ नहीं , बस पोलिटिकल माइलेज के लिए । ऐसे में मुसलमानों को भाजपा के सत्ता में आने से डर क्यों नहीं होगा ? दूसरे सपा , बसपा , काँग्रेस आदि से भी मुसलमानों को शिकायत हो सकती है । लेकिन यह स्पष्ट है कि भाजपा के अलावा कोई भी अन्य पार्टी मुसलमानों को निशाने पर नहीं लेती या उनके विरोध को राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल नहीं करते हैं ।
ऐसे में कहना न होगा कि उपर्युक्त सलाह देने वाले या तो जमीनी हकीकतों को जानते नहीं है या जानबूझ कर नजरअँदाज कर रहे हैं ।

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